Tuesday 29 May 2012

किसी की दुनिया का

हम शमा तो बने मगर रोशन न हों सके ..
बन गए दाग ए दिल, किसी की दुनिया का .

वो देखकर आज भी मायूस ही आते हैं नजर
है बिछड़े हुए साहिल, किसी की दुनिया का .

मैं वो निशाँ हूँ, मिटा नहीं गुजरने के बाद भी..
टूटा सा छान, बिखरा लहू ,किसी की दुनिया का.

कैसे करें मुरव्वत जहाँ की , किनारा न मिला ..
डूबा सितारा  सागर में, किसी की दुनिया का .

राहें बंद हैं , मंजिल तन्हा ,क्यूँ उदास है खड़ी..
बर्बादियों के साये न उजाड़े रंग , किसी की दुनिया का .--विजयलक्ष्मी  

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