Wednesday 13 June 2012

सबब ..


चुप्पी का सबब इकरार भी होता है ....
थामकर कदम भी, दिल जब मानता नहीं ..
सन्नाटा ही बस इजहार भी होता है ..
शब्दों में नापना भी जब दिल जानता नहीं ..
न समझना सुन बेवफाई भी होता है ..
वक्त ए बेरुखी को अहसास मानता नहीं
खुद में ढूँढना ,इम्तेहान भी होताहै ..
अब बस , सताने को आ क्यूँ मानता नहीं ..
बीता हुआ वक्त इतिहास ही होता है ..
कोलम्बस सिर्फ भूगोल को ही मापता नहीं ..
खोने का डर तुझे उन्हें भी होता है..
रोज नया फलसफा क्यूँ? क्या जानता नहीं ..विजयलक्ष्मी

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