Tuesday 23 April 2013

कानून का प्रसव इनके इशारों का मोहताज है

सुना है.. न्याय बिक रहा है ...
सुना है ..अपने ही नाम की दुकानों पर ,
यहाँ तो सब कुछ बिक रहा है... 
सुना है ..दलाल रहते है यहाँ ईमान के ,
सुना है ..कसम खिलाते है झूठी गीता ही ,
सुना है.. नोट के बदले वोट और उसी पैसे में मौत खरीदते है ,
सुना है ..ये दुश्मनी निभाते हैं आखिरी साँस तक ,
सुना है ..ईमान की कसम खिलाने वाले बहुत पक्के होते हैं ईमान के ,उसे ही बेचकर रोटी खाते हैं 
सुना है.. इनका ईमान भी बिकता है चंद पैसे की दरकार में
सुना है.. ये मीलों चलकर भी खरीदते है इंसानी परिंदों की जान
सुना है.. न्याय इनकी जेब का एक मोहरा भर है
सुना है ..ये स्याह को सफेद और सफेद को स्याह बनाने का हुनर जानते है
सुना है ..ये पैसे को ही अपना भगवान मानते हैं ,
सुना है ..संविधान नाचता है इनकी उँगलियों पर ,
सुना है ..ये आम इन्सान की जिन्दगी लेकर खास को दे देते है उधार ,
सुना है ..इनका हर रंग झूठ से ही शुरू होकर मौत तक बसर करता है
सुना है ..इनकी गिरफ्त में आया तो खुदा भी गलती कबूल करता हैं
सुना है ..इनके खंजर खून करके भी पाकसाफ रहते हैं
सुना है ..ये तो पत्रकारों से भी ज्यादा बिकाऊ होते हैं
सुना है.. यमपुरी का ठेका उन्ही को मिलता है ,
सुना है.. जितने झूठ गिनकर सच बनाते है ..उतने बड़े औ सच्चे इंसान कहलाते हैं
सुना है ..खुद को बेचकर न्याय खरीदने का हुनर जानते हैं
सुना है ..इनके जाल में आजाद परिंदे भी फडफडा कर दम तोड़ जाते हैं
सुना है ..सबूत पैदा करना इनका हुनर है अनोखा ..
सुना है.. कानून का प्रसव इनके इशारों का मोहताज है
सुना है ..एक अदना वकील भी न्यायधीश का ताज है ,
सुना है ..शक का कीड़ा लिए घूमते हैं ,
सुना है ,,बातें बनाना ,जिन्दों को मुर्दा और मुर्दों को जिन्दा बनाने का हुनर रखते है ,
सुना है ..देह रूह वतन इन्सान जज्बात के ऊँचे व्यापारी होते हैं ,
सुना है ..कानून के घर में कानूनी कपड़े कानूनी हिसाब किताब के साथ कानून को धता बताते हैं ,
-- विजयलक्ष्मी 

No comments:

Post a Comment