Saturday 7 September 2013

सूरज ..

चलो मुस्कुराया जाये ,किसी गुलशन में गुल खिलाया जाये ,
बरसते सावन संग पिया मिलन का गीत गुनगुनाया जाये 
लहर कर चलती है पवन छूकर जब सिहरता है बदन इठला 
बहकते हुए से मौसम में ,तितलियों सा मन लहराया जाये 
चांदनी रात का इंतजार भला क्यूँ अब ,सितारों की ओढ़नी
चहकती महकती जिन्दगी संग लम्हा लम्हा इठलाया जाये .
अँधेरे गुजर जायेगे खुद ब खुद जीवन की सहर भी होनी है
चलो सहर होने को है आओ अब सूरज को भी बुलाया जाये
- विजयलक्ष्मी 

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