Monday 23 December 2013

खरीदने वाले खुद बिक न जाये गर ..

नग्न नर्तन शब्द का घड दिया कलाओं से ,
खुद भी गलत रहे थे जो मंडित किया महिमाओ से 
देह पुजारी शराब धारी क्यूँ करते है करतब ऐसे 
जिन्दगी को छोड़ तोड़ सच को, गिरते क्यूँ सीमाओं से 
नियन्त्रण नहीं रख सकते क्यूँ गुजरते उन रास्तों से 
मरते कर्मों से अपने हो शर्मिंदा ..सुना जीते रहे वर्जनाओं में .- विजयलक्ष्मी




बस कीमत इतनी ही लगी तुम्हारी बाजार में ,
तुम कोई उठाईगीरे से ही लगे
खरीदने वाले खुद बिक न जाये गर ..
तो भी कीमत क्यूँ न कम लगे ..
क्यूंकि तुम बिकाऊ हो ..खरीददार तो बोली लगाते हैं
तुम आंकते हो खुद को क्या खुदा 
जौहर तुझमे है खरीदने का गर तो बता
जौहरी भी हिम्मत करे कीमत आंकता है
कभी तो कीमत में खुद को क्या खुदा को बांचता है .--- विजयलक्ष्मी

बीजेपी ने 10 करोड़ रुपए में खरीदना चाहा मुझे...: AAP विधायक |




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