सोचकर भी नहीं सोचते कुछ सवाल हम ,
मालूम है जवाब मिलकर भी न मिलेंगे .
जिस चमन की बात करना चाहते हम ,
उनको गुरेज होगा और ख्याल भी न मिलेंगे .
गैर आराम क्यूँकर ए दिल होता है बता ,
जिंदगी के बीतते पल फिर कभी न मिलेंगे .
बेसबब गुनाह हम कर चुके हैं शायद ,
सबब क्यूँकर हुए ,अब बेगुनाही से न मिलेंगे.
हद औ बंदिशें करती है तलब मुझे बार बार ,
बिन परों के पंछी हैं ,अब पर न मिलेंगे .... विजयलक्ष्मी
मालूम है जवाब मिलकर भी न मिलेंगे .
जिस चमन की बात करना चाहते हम ,
उनको गुरेज होगा और ख्याल भी न मिलेंगे .
गैर आराम क्यूँकर ए दिल होता है बता ,
जिंदगी के बीतते पल फिर कभी न मिलेंगे .
बेसबब गुनाह हम कर चुके हैं शायद ,
सबब क्यूँकर हुए ,अब बेगुनाही से न मिलेंगे.
हद औ बंदिशें करती है तलब मुझे बार बार ,
बिन परों के पंछी हैं ,अब पर न मिलेंगे .... विजयलक्ष्मी