Saturday 22 November 2014

" कोई बाबा कोई मदारी .. सबकी अपनी अलग पिटारी "

" वर्णों से स्वभाव की पहचान 
क्या सम्भव है श्रीमान 
जो पढ़े लिखे थे ...जिनको था ज्ञान 
बहुत काटछांट कर रखा बच्चे का नाम 
नाम का प्रथम वर्ण तो शेर जैसा बहादुर बताता था 
लेकिन मुन्ना तो कोक्रोच से ही डर जाता था
जो डरपोक और निखट था नाम से सुना है सरगना है शातिरो का
वो बेवकूफ सा वर्ण अक्षर लिए सबके कान उमेठ रहा है
करोड़ो की जायदाद बनाई करके काली सफेद कमाई
पुलिस तो हाथ भी न लगा पाई
उसकी पहुंच बहुत ऊँची है भाई
जो अनपढ़ सीधे साधे ..शब्दों से कैसे मतलब साधे
कोई ललुआ कोई कलुआ जोत रहे है खेत
ज्योतिष माना अच्छी है गणना भी होती सच्ची है
लेकिन ...गणक कहाँ है ,,
अधकचरा ज्ञान धरे बैठा हर कोई यहाँ है
कोई बाबा कोई मदारी ..
सबकी अपनी अलग पिटारी
सब लालच के मारे दौलत के भूखे फिरते मारे मारे
इसीलिए कोई आसाराम कोई रामपाल फिरता है बना रे
मजहबी दौड़ में कोई पीछे नहीं है
फतवों ने भी दौड़ मस्जिद तक लगाई है
कोई शिक्षा के फतवे नहीं देता न संस्कारो की करता बात
उन्हें स्वार्थ से मतलब ..झूठ मक्कारी की मिलती इन्सान को सौगात
जीसस भी आज तक सूली से नहीं उतरे जब से चढाये हैं
उसी सूली पर चढाये ही सैकड़ो वर्षो से क्रिसमस मनाते आये हैं
 "--- विजयलक्ष्मी



अक्षर बताएगा की आपका व्यक्तित्व कैसा है-

A
 से नाम वाले लोग काफी मेहनती और धैर्य वाले होते हैं। इन्हें अट्रैक्टिव दिखना और अट्रैक्टिव दिखने वाले लोग ज्यादा पसंद होते हैं। ये खुद को किसी भी परिस्थिति में ढाल लेने की गजब की क्षमता रखते हैं। इन्हें वैसी चीज ही भाती है, जो भीड़ से अलग दिखता हो।A- अध्ययन या करियर की बात करें तो किसी भी काम को अंजाम देने के लिए चाहे जो करना पड़े ये करते हैं, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ये कभी हारकर बैठते नहीं। A- ए से नाम वाले लोग रोमांस के मामले में जरा पीछे रहना ही पसंद करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे प्यार और अपने करीबी रिश्तों को अहमियत नहीं देते। बस, इन्हें इन चीजों का इजहार करना अच्छा नहीं लगता।A- चाहे बात रिश्तों की हो या फिर काम की, इनका विचार बिल्कुल खुला होता है। सच और कड़वी बात भी इन्हें खुलकर कह दी जाए तो ये मान लेते हैं, लेकिन इशारों में या घुमाकर कुछ कहना-सुनना इन्हें पसंद नहीं।A- ए से नाम वाले लोग हिम्मती भी काफी होते हैं, लेकिन यदि इनमें मौजूद कमियों की बात करें तो इन्हें बात-बात पर गुस्सा भी आ जाता है।


B
  अक्षर से शुरू होता है वे अपनी जिंदगी में नए-नए रास्ते तलाशने में यकीन रखते हैं। अपने लिए कोई एक रास्ता चुनकर उसपर आगे बढ़ना इन्हें अच्छा नहीं लगता। B- बी अक्षर वाले लोग ज़रा संकोची स्वभाव के होते हैं। काफी सेंसिटिव नेचर के होते हैं ये। जल्दी अपने मित्रों से भी नहीं घुलते-मिलते। इनकी लाइफ में कई राज होते हैं, जो इनके करीबी को भी नहीं पता होता। ये ज्यादा दोस्त नहीं बनाते, लेकिन जिन्हें बनाते हैं उनके साथ सच्चे होते हैं।B- रोमांस के मामले में ये थोड़े खुले होते हैं। प्यार का इजहार ये कर लेते हैं। प्यार को लेकर ये धोखा भी खूब खाते हैं। इन्हें खुद पर कंट्रोल रखना आता है। खूबसूरत चीजों के ये दीवाने होते हैं।


C
- सी नाम के लोगों को हर क्षेत्र में खूब सफलता मिलती है। एक तो इनका चेहरा-मोहरा भी काफी आकर्षक होता है और दूसरा कि काम के मामले में भी लक इनके साथ हमेशा रहता है। इन्हें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। अच्छी सूरत तो भगवान देते ही हैं इन्हें, अच्छे दिखने में ये खुद भी कभी कोई कसर नहीं छोड़ते।C- सी नाम वाले दूसरों के दुख-दर्द के साथ-साथ चलते हैं। खुशी में ये शरीक हों या न हों, लेकिन किसी के ग़म में आगे बढ़कर ये उनकी मदद करते हैं।C- सी नाम वालों के लिए प्यार के महत्व की बात करें तो ये जिन्हें पसंद करते हैं उनके बेहद करीब हो जाते हैं। यदि इन्हें अपने हिसाब के कोई न मिले तो मस्त होकर अकेले भी रह लेते हैं। वैसे स्वभाव से ये काफी इमोशनल होते हैं।


D
 डी नाम वाले लोगों को हर मामले में अपार सफलता हाथ लगती है। कभी भाग्य साथ न भी दे तो उन्हें विचलित नहीं होना चाहिए, क्योंकि उनकी जिंदगी में आगे चलकर सारी खुशियां लिखी होती हैं। लोगों की बात पर ध्यान न देकर अपने मन की करना ही इन्हें भाता है। जो ठान लेते हैं ये, उसे कहके ही मानते हैं। इन्हें सुंदर या आकर्षक दिखने के लिए बनने-संवरने की जरूरत नहीं होती। ये लोग बॉर्न स्मार्ट होते हैं। D- किसी की मदद करने में ये कभी पीछे नहीं रहते। यहां तक ये भी नहीं देखते कि जिनकी मदद के लिए उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाया है वह उनके दुश्मन की लिस्ट में हैं या दोस्त की लिस्ट में।D- डी नाम के लोग प्यार को लेकर काफी जिद्दी होते हैं। जो इन्हें पसंद हो, उन्हें पाने के लिए या फिर उनसे रिश्ता निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। रिश्तों के मामले में इनपर अविश्वास करना बेवकूफी होगी।


E
- ई या इ से नाम वाले मुंहफट किस्म के होते हैं। हंसी-मजाक की जिंदगी जीना इन्हें पसंद है। इन्हें अपने इच्छा अनुरूप सारी चीजें मिल जाती हैं। जो इन्हें टोका टाकी करे, उनसे किनारा भी तुरंत हो लेते हैं।E- ई या इ नाम वाले लोग जिंदगी को बेतरतीव जीना पसंद नहीं करते। इन्हें सारी चीजें सलीके और सुव्यवस्थित रखना ही पसंद है। E- ई या इ से नाम वाले लोग प्यार को लेकर उतने संजीदा नहीं रहते, इसलिए इनसे रिश्ते पीछे छूटने का किस्सा लगा ही रहता है। शुरुआत में ये दिलफेंक आशिक की तरह व्यवहार करते हैं, क्योंकि इनका दिल कब किसपर आ जाए कह नहीं सकते। लेकिन एक सच यह भी है कि जिन्हें ये फाइनली दिल में बिठा लेते हैं उनके प्रति पूरी तरह से सच्चे हो जाते हैं।


F
 नाम वाले लोग काफी जिम्मेदार किस्म के होते हैं। हां, इन्हें अकेले रहना काफी भाता है। ये स्वभाव से काफी भावुक होते हैं। हर चीज को लेकर ये बेहद कॉन्फिडेंट होते हैं। सोच-समझकर ही खर्च करना चाहते हैं ये। जीवन में हर चीज इनका काफी बैलेंस्ड होता है।


F से शुरू होने वाले नाम के लोगों के लिए प्यार की काफी अहमियत होती है। ये खुद भी सेक्सी और आकर्षक होते हैं और ऐसे लोगों को पसंद भी करते हैं। रोमांस तो समझिए कूट-कूटकर इनमें भरा होता है।


G
 से शुरू होनेवाले नाम वाले लोग दूसरों की मदद के लिए हमेशा ही खड़े होते हैं। ये खुद को हर परिस्थितियों में ढाल लेते हैं। ये चीजों को गोलमोल करके पेश करना पसंद नहीं करते, क्योंकि इनका दिल बिल्कुल साफ होता है। अपने किए से जल्द सबक लेते हैं और फूंत-फूंककर कदम आगे बढ़ाते हैं ये।G से नाम वाले प्यार को लेकर ईमानदार होते हैं। प्यार के मामले में ये समझदारी और धैर्य से काम लेते हैं। कमिटमेंट से पहले किसी पर बेवजह खर्च करना इनके लिए बेकार का काम है।


H
 से नाम वाले लोगों के लिए पैसे काफी मायने रखते हैं। ये काफी हंसमुख स्वभाव के होते हैं और अपने आसपास का माहौल भी एकदम हल्का-फुल्का बनाए रखते हैं। ये लोग दिल के सच्चे होते हैं। काफी रॉयल नेचर के होते हैं और मस्त मौला होकर जीवन गुजारना पसंद करते हैं। झटपट निर्णय लेना इनकी काबिलियत है और दूसरों की मदद के लिए आधी रात को भी ये तैयार होते हैं।प्यार का इजहार करना इन्हें नहीं आता, लेकिन जब ये प्यार में पड़ते हैं तो जी जीन से प्यार करते हैं। उनके लिए कुछ भी कर गुजरते हैं ये। इन्हें अपने मान-सम्मान की भी खबह चिंता होती है।


I
 से शुरू होने वाले नाम के लोग कलाकार किस्म के होते हैं। न चाहते हुए भी ये लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने रहते हैं। हालांकि मौका पड़े तो इन्हें अपनी बात पलटने में पल भर भी नहीं लगता और इसके लिए वे यह नहीं देखते कि सही का साथ दे रहे हैं या फिर गलत का। इनके हाथ तो काफी कुछ लगता है, लेकिन उन चीजों के हाथ से फिसलने में भी देर नहीं लगती। I से नाम वाले लोग प्यार के भूखे होते हैं। आपको वैसे लोग अपनी ओर खींच पाते हैं जो हर काम को काफी सोच-विचार के बाद ही करते हैं। स्वभाव से संवेदनशील और दिखने में बेहद सेक्सी होते हैं।


J
 से नाम वाले लोगों की बात करें तो ये स्वभाव से काफी चंचल होते हैं। लोग इनसे काफी चिढ़ते हैं, क्योंकि इनमें अच्छे गुणों के साथ-साथ खूबसूरती का भी सामंजस्य होता है। जो करने की ठान लेते हैं, उसे करके ही मानते हैं ये। पढ़ने-लिखने में थोड़ा पीछे ही रहते हैं, लेकिन जिम्मेदारी की बात करें तो सबसे आगे खड़े रहेंगे ये। j से नाम वाले लोगों के चाहने वाले कई होते हैं। हमसफर के रूप में ये जिन्हें मिल जाएं समझिए खुशनसीब हैं वह। जीवन के हर मोड़ पर ये साथ निभानेवाले होते हैं।


K
से नाम वाले लोगों को हर चीज में परफेक्शन चाहिए। चाहे बेडशीट के बिछाने का तरीका हो या फिर ऑफिस की फाइलें, सारी चीजें इन्हें सेट चाहिए। दूसरों से हटकर चलना बेहद भाता है इन्हें। ये अपने बारे में पहले सोचते हैं। पैसे कमाने के मामले में भी ये काफी आगे चलते हैं।स्वभाव से ये रोमांटिक होते हैं। अपने प्यार का इजहार खुलकर करना इन्हें खूब आता है। इन्हें स्मार्ट और समझदार साथी चाहिए और जबतक ऐसा कोई न मिले तब तक किसी एक पर टिकते नहीं ये।


L
 से शुरू होने वाले नाम के लोग काफी चार्मिंग होते हैं। इन्हें बहुत ज्य़ादा पाने की तमन्ना नहीं होती, बल्कि छोटी-मोटी खुशियों से ये खुश रहते हैं। पैसों को लेकर समस्या बनती है, लेकिन किसी न किसी रास्ते इन्हें हल भी मिल जाता है। लोगों के साथ प्यार से पेश आते हैं ये। कल्पनाओं में जीते हैं और फैमिली को अहम हिस्सा मानकर चलते हैं ये।प्यार की बात करें तो इनके लिए इस शब्द के मायने ही सबकुछ हैं। बेहद ही रोमांटिक होते हैं ये। वैसे सच तो यह है कि अपनी काल्पनिक दुनिया का जिक्र ये अपने हमसफर तक से करना नहीं चाहते। प्यार के मामले में भी ये आदर्शवादी किस्म के होते हैं।



M
 नाम से शुरू होनेवाले लोग बातों को मन में दबाने वाली प्रवृत्ति के होते हैं। कहते हैं ऐसा नेचर कभी-कभी दूसरों के लिए खतरनाक भी साबित हो जाता है। चाहे बात कड़वी हो, यदि खुलकर कोई कह दे तो बात वहीं खत्म हो जाती है, लेकिन बातों को मन रखकर उस चलने से नतीजा अच्छा नहीं रहता। ऐसे लोगों से उचित दूरी बनाए रखना बेहतर है। इनका जिद्दी स्वभाव कभी-कभार इन्हें खुद परेशानी में डाल देता है। वैसे अपनी फैमिली को ये बेहद प्यार करते हैं। खर्च करने से पहले ज्यादा सोच-विचार नहीं करते। सबसे बेहतर की ओर ये ज्यादा आकर्षित होते हैं।प्यार की बात करें तो ये संवेदनशील होते हैं और जिस रिश्ते में पड़ते हैं उसमें डूबते चले जाते हैं और इन्हें ऐसा ही साथी भी चाहिए जो इनसे जी जीन से प्यार करे।


N
 से शुरू होनेवाले नाम के लोग खुले विचारों के होते हैं। ये कब क्या करेंगे इसके बारे में ये खुद भी नहीं जानते। बेहद महत्वाकांक्षी होते हैं। काम के मामले में परफेक्शन की चाहत इनमें होती है। आपके व्यक्तित्व में ऐसा आकर्षण होता है, जो सामने वालों को खींच लाता है। ये दूसरों से पंगे लेने में ज्यादा देर नहीं लगाते। इन्हें आधारभूत चीजों की कभी कोई कमी नहीं रहती और आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होते हैं ये।कभी-कभार फ्लर्ट चलता है, लेकिन प्यार में वफादारी करना इन्हें आता है। स्वभाव से रोमांटिक और रिश्तों को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं ये।


O
 अक्षर से नाम के लोगों के स्वभाव की बात करें तो बता दें कि इनका दिमाग काफी तेज दौड़ता है। ये बोलते कम हैं और करते ज्यादा हैं, शायद यही वजह है कि ये जल्दी ही उन हर ऊंचाइयों को छू लेते हैं जिनका ख्वाब ये देखा करते हैं। इन सबके बावजूद समाज के साथ चलना इन्हें पसंद है। जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं।प्यार की बात करें तो ये ईमानदार किस्म के होते हैं। साथी को धोखा देना इन्हें पसंद नहीं और ऐसा ही उनसे भी अपेक्षा रखते हैं। जिससे कमिटमेंट हो गया, बस पूरी जिंदगी उसपर न्योछावर करने को तैयार रहते हैं ये।


P
 से शुरू होनेवाले नाम के लोग उलझनों में फंसे रहते हैं। वैसे, ये चाहते कुछ हैं और होता कुछ अलग ही है। काम को परफेक्शन के साथ करते हैं। इनके काम में सफाई और खरापन साफ झलकती है। खुले विचार के होते हैं ये। अपने आसपास के सभी लोगों का ख्याल रखते हैं और सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। हां, कभी-कभार अपने विचारों के घोड़े सबपर दौड़ाने की इनकी कोशिश इन्हें नुकसान भी पहुंचाती है।प्यार की बात करें तो सबसे पहले ये अपनी छवि से प्यार करते हैं। इन्हें खूबसूरत साथी खूब भाता है। कभी-कभार अपने साथी से ही दुश्मनी भी पाल लेते हैं, लेकिन चाहे लड़ते-झगड़ते सही साथ उनका कभी नहीं छोड़ते।


Q
 से नाम वाले लोगों को जीवन में ज्यादा कुछ पाने की इच्छा नहीं होती, लेकिन नसीब इन्हें देता सब है। ये स्वभाव से सच्चे और ईमानदार होते हैं। नेचर से काफी क्रिएटिव होते हैं। अपनी ही दुनिया में खोए रहना इन्हें अच्छा लगता है।प्यार की बात करें तो ये अपने साथी के साथ नहीं चल पाते। कभी विचारों में तो कभी काम में असमानता इन्हें झेलना ही पड़ता है। वैसे, आपके प्रति आकर्षण आसानी से हो जाता है।


R
 से नाम वाले लोग ज्यादा सोशल लाइफ जीना पसंद नहीं करते। हालांकि, फैमिली इनके लिए मायने रखती है और पढ़ना-लिखना इन्हें नहीं भाता। जो भीड़ करे, उसे करने में इन्हें मजा नहीं आता। ये तो वह काम करना चाहते हैं, जिसे कोई नहीं कर सकता। R से नाम वाले लोग काफी तेजी से आगे बढ़ते हैं और धन-दौलत की कोई कमी नहीं रहती।अपने से ऊपर सोच-समझ और बुद्धि वाले लोग इन्हें आकर्षित करते हैं। दिखने में खूबसूरत और कोई ऐसा जिसपर आपको गर्व हो उनकी ओर आप खिंचे चले जाते हैं। वैसे वैवाहिक जीवन में उठा-पटक लगा ही रहता है।


S
 से नाम वाले लोग काफी मेहनती होते हैं। ये बातों के इतने धनी होते हैं कि सामने वाला इनकी ओर आकर्षित हो ही जाता है। दिमाग से तेज और सोच-विचार कर काम करते हैं ये। इन्हें अपनी चीजें शेयर करना पसंद नहीं। ये दिल से बुरे नहीं होते, लेकिन उनके बातचीत का अंदाज़ इन्हें लोगों के सामने बुरा बना देती है। प्यार के मामले में ये शर्मीले होते हैं। आप सोचते बहुत हैं, लेकिन प्यार के लिए कोई पहल करना नहीं आता। प्यार के मामले में ये सबसे ज्यादा गंभीर होते हैं।


T
 से शुरू होनेवाले नाम के लोग खर्च के मामले में एकदम खुले हाथ वाले होते हैं। चार्मिंग दिखने वाले ये लोग खुशमिजाज भी खूब रहते हैं। मेहनत करना इन्हें उतना अच्छा नहीं लगता, लेकिन पैसों की कभी कमी नहीं होती इन्हें। अपने दिल की बात किसी से जल्दी शेयर नहीं करते ये।प्यार की बात करें तो रिश्तों को लेकर काफी रोमांटिक होते हैं। लेकिन बातों को गुप्त रखने की आदत भी इनमें होती है।


U
से शुरू होनेवाले नाम के लोग कोशिश तो बहुत-कुछ करने की करते हैं, लेकिन इनका काम बिगड़ते भी देर नहीं लगती। किसी का दिल कैसे जीतना है, वह इनसे सीखना चाहिए। दूसरों के लिए किसी भी तरह ये वक्त निकाल ही लेते हैं। ये बेहद होशियार किस्म के होते हैं। तरक्की के मार्ग आगे बढ़ने पर ये पीछे मुड़कर नहीं देखते।आप चाहते हैं कि आपका साथी हमेशी भीड़ में अलग नज़र आए। वह साथ न भी हो तो आप हर वक्त उन्ही के ख्यालों में डूबे रहना पसंद करते हैं। अपनी खुशी से पहले साथी की खुशियों का ध्यान रखते हैं ये।

V

 से शुरू वाले नाम के व्यक्ति स्वभाव से थोड़े ढीले होते हैं। इन्हें जो मन को भाता है वही काम करते हैं। दिल के साफ होते हैं, लेकिन अपनी बातें किसी से शेयर करना इन्हें अच्छा भी नहीं लगता। बंदिशों में रखकर इनसे आप कुछ नहीं करा सकते।बात प्यार की करें तो ये ये अपने प्यार का इजहार कभी नहीं करते। जिन बातों का कोई अर्थ नहीं या यूं कहिए कि हंसी-ठहाके में कही गई बातों से भी आप काफी गहरी बातें निकाल ही लेते हैं। कभी-कभीर ये बाते आपके लिए ही मुसीबत खड़ी कर देती हैं।


से शुरू होनेवाले नाम के लोग संकुचित दिल के होते हैं। एक ही ढर्रे पर चलते हुए ये बोर भी नहीं होते। ईगो वाली भावना तो इनमें कूट-कूटकर भरी होती है। ये जहां रहते हैं वहीं अपनी सुनाने लग जाते हैं, जिससे सामने वाला इंसान इनसे दूर भागने लगता है। हालांकि, हर मामले में सफलता इनकी मुट्ठी तक पहुंच ही जाती है।प्यार की बात करें तो ये न न करते हुए ही आगे बढ़ते हैं। हालांकि, इन्हें ज्यादा दिखावा पसंद नहीं और अपने साथी को उसी रूप में स्वीकार करते हैं जैसा वह वास्तव में है।

X

 से नाम वाले लोग जरा अलग स्वभाव के होते हैं। ये हर मामले में परफेक्ट होते हैं, लेकिन न चाहते हुए भी गुस्से के शिकार हो ही जाते हैं ये। इन्हें काम को स्लो करना पसंद नहीं, फटाफट निपटाने में ही यकीन रखते हैं ये। बहुत जल्दी चीजों से बोरियत हो जाती है इन्हें। ये क्या करने वाले हैं इस बात का पता इन्हें खुद भी नहीं होता।प्यार के मामले में फ्लर्ट करना इन्हें ज्यादा पसंद है। कई रिश्तों को एकसाथ लेकर आगे चलने की हिम्मत इनमें होती है।


से शुरू होनेवाले नाम के लोगों से कभी भी सलाह लें, आपकी सही रास्ता दिखाएंगे वह। खर्च के लिए कभी सोचते नहीं, बस खाना अच्छा मिले तो हमेशा खुश रहेंगे। अच्छी पर्सनैलिटी के बादशाह होते हैं। लोगों को दूर से ही पढ़ लेते हैं ये। इन्हें ज्यादा बातचीत करना पसंद नहीं। धन-दौलत नसीब तो होती है, लेकिन इन्हें पाने में वक्त लग जाता है।
बात प्यार की करें तो इन्हें अपने साथी की कोई बात याद नहीं रहती। हालांकि सच्चे, खुले दिल और रोमांटिक नेचर के होने के कारण इनकी हर गलती माफ भी हो जाती है।

Z

 से नाम वाले लोग दूसरों से काफी जल्दी घुल-मिल जाते हैं। गंभीरता इनके स्वभाव में है, लेकिन बड़े ही कूल अंदाज में ये सारे काम करते हैं। जो बोलते हैं साफ बोलते हैं और जिंदगी को इंजॉय करना इन्हें आता है। न मिलने वाली चीजों पर रोने की बजाय उसे छोड़कर आगे बढ़ना इन्हें पसंद है। इन्हें दिखावा नहीं पसंद। इनकी सादगी को देख इन्हें बेवकूफ समझना बहुत बड़ी बेवकूफी होगी। स्वभाव से ये रोमांटिक होते हैं। आपकी ओर कोई भी बड़ी आसानी से अट्रैक्ट हो जाता है। अपने प्यार के सामने आप किसी को अहमियत नहीं देते।

इनका विश्लेश फिर कभी |

Friday 21 November 2014

" सुन्दरता ..? "

" सुन्दरता
किसी को गुल नहीं भाते 
किसी को कांटे भी सुहाते है 
इसलिए 
कुछ लोग बबूल को नहीं काटते
कुछ घरो में नागफनी उगाते है 
सुन्दरता 
चेहरे में होती गर चाँद बेगाना ही लगता 
सुबह सहर का ठंडा सूरज दिन दुपहरी न जलता 
सुन्दरता 
बगिया में रहती क्यूँ गमले सजते 
कोई कोई मेहँदी से क्यूँ दिल नहीं रंगते 
सुन्दरता 
महलों में रहती गर झुग्गी वीरानी होती 
न हंसी गूंजती कभी न वीरानी महलो में रोती 
सुन्दरता 
आँखों में रची और बैठी दिल में आन 
इसीलिए रंग रूप रहता नहीं है भान 
सुन्दरता 
चंचल होती गर बिजुरी क्या कम थी 
रूह न चलती छोड़ देह क्यूँ अंखिया नम थी
सुन्दरता 
छिप गयी ममता और प्रेम के आंचल में 
रुनझुन बजती पायलिया के मीठे लगते नगमे "--- विजयलक्ष्मी 

Wednesday 19 November 2014

" लक्ष्मीबाई (झाँसी की रानी )के जन्मदिवस पर "

लक्ष्मीबाई (झाँसी की रानी )के जन्मदिवस पर ....श्रद्धासुमन अर्पित हैं .

कोटिश: नमन ||



" झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
अन्य नाम मनु, मणिकर्णिका
जन्म 19 नवंबर, 1835 ( वाराणसी, उत्तर प्रदेश )
मृत्यु 17 जून, 1858 ( ग्वालियर, मध्य प्रदेश )
अविभावक ---मोरोपंत तांबे और भागीरथी बाई
पति- --राजा गंगाधर राव निवालकर
संतान--- दामोदर राव(दत्तक )
प्रसिद्धि रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी की रानी और भारत की स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वनिता थीं।
नागरिकता भारतीय.... रानी लक्ष्मीबाई का बचपन में 'मणिकर्णिका' नाम रखा गया परन्तु प्यार से मणिकर्णिका को 'मनु' पुकारा जाता था। विवाह के बाद इनका नाम 'लक्ष्मीबाई' हुआ
।"



"झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई "से एक मुलाकात ...जैसे वक्त ठहर गया था ..आंखे लबालब और सांसे अपना सुर ताल सब बदल चुकी थी ...उस जमीं को छूना ..मेरे लिए अविश्वसनीय सा सपना कहूं या हकीकत ...दिल जैसे उछलकर बाहर ही निकल आएगा ..आवाज साथ नहीं दे रही थी ..महल की दीवारों को छूने से झनझनाहट सी उठी ..जैसे बिजली गुजरी थी उसी पल ...शब्द कम कहू या जो महसूस किया शब्दों में नहीं लिख सकती ..बस ..एक मुलाकात जिसे भूल पाना ..खुद को भुलाना होगा ...बचपन की कहानियां किस्से इतिहास की तरह पढ़ी बातें ..जैसे सबकुछ पा लिया था ..झलकारीबाई सी सहेली ..मोतीबाई सी तोपची ..काना मुंद्रा सखियाँ ..धोखेबाज सिंधिया परिवार ..तलवार सिखाते नाना साहेब ..महल के उपर से घोड़े पर बैठकर छलांग लगाना ..जैसे गुजरता जा रहा था चलचित्र सा ...दीवार को छूकर दूर हटने का मन नहीं था ..हर घटना जीवन बनती चली गयी ..झांसी मेरा एक सपना ..जैसे सपना सा पूरा हुआ एक ..हाँ कहीं जिन्दा है शायद मुझमे आज भी ..मन द्रवित हो उठा ..उस अहसास को जीने का आंनद ही निराला है .--- विजयलक्ष्मी





" खंजर की चमक बिजली .उठे.खनक तलवार से  
खौफ से जीता था दुश्मन सदा जिसके वार से 
कांपते थे दिल ..डोलती थी सत्ता जिसके नाम से
गुडिया नहीं भायी उसको चूड़िया न सुहाई वक्त को
शब्द जो बोलती थी तलवार से तौलती थी
बंदूक भाला बरछी सखी दोस्त बन चले थे
था घुड़सवारी शौक .. वीरबाना जिसका पर्याय हो चले थे
सन सत्तावन को रास नहीं था ..जीवन उसका छीन लिया
कैसे जीती परतंत्र होकर स्वतंत्र मौत को बीन लिया
रणभेरी बजती भुजा फडकती और सुलगती आग सीने में थी  
लक्ष्मीबाई..गर्वित हम ,तुम जन्मी भारतभूमि में ,
नमन कोटिश: प्रथम वनिता को .|
..जीने की सीख सिखा गयी ,,
जीना मरना रह स्वतंत्र ...पाठ स्वतंत्रता सिखा गयी ..
हो गुजरी वो जिस पथ से पुष्प स्वतन्त्रता के खिला गयी ...
आने वाली पीढ़ी को भी बलिदानी राह दिखा गयी
श्रृंगार चूड़िया कब भायी हाथो में 
बचपन से भाला कृपाण संग तलवार जो आ गयी
करूं नमन कितना भी ,कम हैं ...
स्वतंत्रता की दीवानी खुद रणभेरी बजा गयी
डरी मौत से कभी नहीं वो चिता को भी भा गयी .
रक्त से कैसे लिखते हैं " देशप्रेम गाथा "सारी दुनिया को बता गयी "||



 ---- विजयलक्ष्मी 




"
उठे तूफ़ान दीवानी का तो बवंडर सा गहरता था 
लक्ष्मीबाई का नाम जुबाँ पर जब ठहरता था 
खौफ सा दुश्मन के दिल को दहलाकर ही गुजरता था 
खंजर कृपाण तलवार से वीरांगना का श्रृंगार संवरता था 
घूमती नजर जिस और रण में थी 
लहू में सबके जैसे प्राणों का संत्रास उभरता था 
तुम भूलना चाहो भूल जाओ ..वो मर रही देश पर ....
भला हो ...सोचकर देखना उसे बेटी बनाने लालसा कौन नहीं करता था 
आज स्वार्थ लटक रहा है देशप्रेम भटक रहा है 
देशपर मर मिटे जो ....रणबाँकुरे उन्हें कोई याद भी नहीं कर रहा है " 
.---- विजयलक्ष्मी 



Monday 17 November 2014

"बताओ तो,, पुरुष अपनी नसबंदी क्यूँ नहीं करवाता है ?"




" मैं मर रही हूँ 
रोज मरती हूँ 
हर बार अलग तरीके से मारी जाती हूँ 
कभी इज्जत को तार तार करके मारा जाता है कभी जलाया जाता है 
कभी दहेज के नाम पर रसोई में कभी कोख में 
कभी फेरे पर कभी सामाजिक घेरे में
कभी गरीबी हमे मारती है
कभी जरूरत मार डालती है
कभी लडको की चाहत मार डालती है
कभी बीमारी जिन्दा नहीं रहने देती
इस बार तो मुझे बहुत ही अजीब से तरीके से मारा गया
जिसमे कोई नहीं मरते ..
मरता भी कोई कैसे ..पुरुष तो कोई आगे ही नहीं बढ़ता
धकियाया जाता है औरत को सदा से
जानते हो अब लगने लगा है आदमी स्वार्थ के लिए जीता है
हमारा उपयोग करता है उसे हमारी कितनी चिंता है ..
उसका स्वार्थ पूरा तो सब जाये भाड़ में ..क्या कहा ..नहीं एसा नहीं है
तो जोर से चीखकर कहती हूँ एसा ही है ..
छत्तीसगढ़ की खबर सुनी है
अच्छा कितने पुरुषो ने अपना नसबंदी कराया है
मुझे तो सैकड़ो में कोई एक दो भी नहीं पाया है
हर घर से औरत को ही आगे बढ़ाया है
क्यूंकि कमजोर होता है पुरुष ...
पेट में बच्चा मरना हो तो औरत को ,,
बच्चा पैदा न करना हो तो औरत को
हर लड़ाई में औरत को ढाल बनाते है फिर भी पुरुष पुराण ही बनाये गाये जाते हैं
हर बंधन औरत पर आजादी पुरुष को ..लेकिन
मौत की और औरत के कदम ही पहले पाए जाते है
और आज उसी अभियान में
जनसंख्या नियन्त्रण के काम में
औरत ही खेत रही है ...जिन्दगी उसे ही रेत रही है
हर विभाग का उत्तरदायित्व पुरुष पर सिर्फ मौत को छोडकर
मुझे ये भी पता है मेरे मरते ही दूसरी आ जाएगी
मेरी मुहब्बत की चादर उसके काम आएगी
तुमने जनसंख्या नियन्त्रण में हिस्सा ही कब लिया था
तुम्हे तो बस बढ़ाना आता है
अपनी संतुष्टि के लिए देह का देह से रास रचाना भाता है
बताओ तो ...पुरुष नसबंदी अपनी क्यूँ नहीं करवाता है ?
बताओ तो.... पुरुष अपनी नसबंदी क्यूँ नहीं करवाता है ?"
---- विजयलक्ष्मी

Saturday 15 November 2014

" बालदिवस तो हो गया .."

बालदिवस तो हो गया ..
खूब हंगामा हुआ ..चर्चे खर्चे पर्चे सबकुछ 
भाषणबाजी नारेबाजी खिलाफत सबकुछ 
कितने बच्चो की रोटी का जुगाड़ हुआ 
कितनो की शिक्षा की देखाभाली 
कितने निर्वासित घर में पहुंचे
कितने अनाथो को मिले माली
सब चीख चीखकर गा बजा रहे थे
बालदिवस की मंगलकामना ||
चोकलेट भी खिलाई होगी अपनी औलादों को
खाना होटल से पिज्जा या चाउमीन ..
कुछ बेचारे भूखे सोये होंगे कुछ सडको पर लाचार
कोई माँ ढोती होगी रेत और पत्थर
धोती में पलने में धूपछाँव में सूख रहा बेजार
उसको भी कहकर मुबारक दे देते तुम इकबार
शर्मा जी के घर सन्नाटा वर्मा जी सर हाथ धरे
मालूम हो गया इनके घर लक्ष्मी ने पाँव धरे
सास फूलकर कुप्पा हो बैठी बहन हुई गोलगप्पा
कैसे दहेज जोड़ोगे अब ..बताओ लल्ली के पप्पा
गर पहले जांच करा लेते अब न गुल होता डब्बा
---- विजयलक्ष्मी

Friday 14 November 2014

" बालदिवस की सार्थकता का वो एक दिन ..."



"नौनिहालों को मुबारक बालदिवस |"

हमारे देश में एक चाचा हुए है ...चाचियो की गिनती अभी तक तय नहीं हो पायी मरने के अनेक वर्षो के बाद भी ..लेकिन ...सुना है बच्चो से भी बहुत प्यार था लेकिन कौन से बच्चो से नहीं मालूम ...कब किस बच्चे के लिए क्या किया याद नहीं पड़ता ..हाँ भारत माँ के बच्चो को बंटवारे का दंश और सरहद का झगड़ा रह रहकर सताता है ...सत्ता पर वो आज भी काबिज है मरने के कई दशको के बाद भी ...मोह नहीं छुट रहा ... एक गुलाब जो अचकन पर लगाते थे आज लगता है जैसे देश के जमीर को तोडकर टांक लिया हो ...एक पप्पू भी है उनके घर में जाने क्यूँ बेवक्त चिल्लाता है ,,उसे मालूम ही नहीं रहता गुस्से का कोई वाजिब कारण भी होना चाहिए ....हाँ पप्पू को अंग्रेजी का कुछ ज्यादा ही शौक है ...और हिंदी से तो जैसे दुश्मनी है उसे .....कमाल करते हो आपनी माँ गाँव की है तो दुसरे की माँ को घर में बुलाओगे क्या लोगो से मिलाने के लिए माँ बनाकर ..देश की तरक्की अंग्रेजी से जुडी है विदेशियों से बात नहीं कर सकते ....हद है न खुद का कड़ बढाओ भई ......दुसरे की लल्लोचप्पो क्यूँ ...आखिर लहू लहू को पुकारता है ..चाचा एडविना को पुकारते थे पप्पू अंग्रेजी को ,, उनके बड़े में लक्ष्मीबाई की सहायता न करने वाले सिंधिया जैसे खानदानी लोग रहे है सदा .. ये गयासुद्दीन कौन थे किसी को मालूम हो तो बताना ..गजोधर कब और कैसे बने कुछ याद नहीं पड़ता ...असल में इतिहास कमजोर रहा है अपना ,,,निन्यानवे के फेर का गणित सीखते रहे और इतिहास पीछे छुट गया ....किताबो से भी बाहर निकल गया ,,जो बचा आजाद भगत को आतंकवादी बनाने की तयारी करता मिला ..उनके बच्चो को भाई भतीजे को किसी ने बालदिवस की मुबारकबाद कब दी याद नहीं पड़ रहा ..

....लूटने वालो के लिए संग्रहालय घड दिए शिलालेख से ,
...जो लुट गये उनकी कब्र पर दीपक जलाने भी नहीं आया कोई
...भूलकर तहजीब हिन्दुस्तान की तख्त ए ताउस पर बैठा किये
...जिन्दा कौम को सही रास्ता दिखाने भी नहीं आया कोई
..हर बच्चा ..वो छोटू हुआ किसी भी कोने में देश के ..गरीब था
..गरीबी और जहालत की जिन्दगी , फरिश्ता बचाने आया नहीं कोई
..न शिक्षा के पैमाने निर्धारित न इम्तेहानो का कायदा
..मछली के प्रायोगिक प्रश्नपत्र में पेड़ पर चढना लिखा ?,,प्रश्न बदलवाने आया नहीं कोई
..बालदिवस शुभ हो मंगलकामना करने का मन है बहुत मेरा
..नौनिहालों को जीना सिखाने का सलीका बताने आया नहीं कोई" ---- विजयलक्ष्मी





"एक दिन का विमर्श काफी नहीं नौनिहालों को 
हर बच्चा सुरक्षा औ मुस्कान मांगता है 


कूड़े के ढेर में ढूंढता रहा जिन्दगी दिनभर 
रात को तो वो पेट भी रोटी भरपेट मांगता है


वंशावली जिनकी सियासत करती रही 

देश उनसे भी तो वाजिब जवाब मांगता है 


बाँट दिया तुमने माँ भारती के बच्चो को धर्म में
उतारकर सत्ता से हिसाब जांचता है 


इस्लाम में तो सेकुलर अल्फाज नदारत
जिस वेद में लिखा किताब मांगता है 


नौटंकी करनी बंद करो पुरखो के नाम पर
तुम्हारी रग रग को हिंदुस्तान जानता है
"--- विजयलक्ष्मी


बालदिवस की सार्थकता का वो एक दिन ... 

" घर से दो घर आगे अक्सर दिखाई देती थी
दोपहर से शाम तक वही घर ठिकाना था उन दिनों उसका
वो चार बहने एक भाई गिनती में पांच लोग 
छोटी सी उम्र में घर के सब कम इस तरह करती थी भूखे रहने की नौबत न आये
बर्तन चौका तो कुछ ऐसे जैसे भले घर की लडकिया गुडिया से खेलती हो
बाप मर खप गया शराब की आन पर भेट चढ़ गया ..
पढने का शौक ही होगा या समझ उसकी ..
दुसरे के घर में झाड़ू बर्तन करने शुरू हुए .
किताब कॉपी भी मिलने लगी ..पिछले बीते सालो की ..
जो पहले भी पढ़ी जा चुकी थी कई बार
उम्र के जिस पड़ाव पर माँ का दामन पकडकर चलना सीखती है अक्सर लडकियाँ
डरती है माँ ...घर से बाहर निकलने के नाम पर ,,
वो लौटती थी उसी उम्र और उसी वक्त पर घर की और
माँ भी हिम्मत रहते काम करती रही..लेकिन ....
वक्त की तलवार ने उसे छीलने की तयारी कर ली थी शायद
शरीर रोगों की खान हो गया तो घर से निकलना मजबूरी होता है उन बेटियों की जो झुग्गी में रहती है बिन बाप के
उसने पास की दुकान में अनाज फटकने का कम पकड़ लिया दमे के बावजूद ...
भाई साईकिल पर पंचर लगाने का काम करने लगा स्कूल के बाद
रोटी और कपड़े के आलावा फीस का इंतजाम भी जरूरी था
लगन देखकर कुछ हाथ मदद को उठने लगे ,,
कच्ची उम्र की देहलीज क्या होती है सामने से गुजरने वाले की नजर बताती है उन्हें
नहीं मालूम कितने खरीदने की सोचते होंगे फीस के बदले
समय की कमी ट्यूशन के लिए वक्त और पैसे का खर्चा
ऐसे में बिन पैसे लिए पढाने की तमन्ना बलवती हुई
नजरे पढने की जरूरत भी खत्म हो गयी थी उसे ..किसी का पास से गुजरना भर उसके इरादे हाथ में पकड़ा देता था उसके
मेरे घर आनाजाना होने लगा उसका ..कभी सबके साथ कभी अलग
एक दर बंद हो तो दर और भी खुल जाते हैं ...स्कूली अध्यापक सभी न अच्छे होते है न बुरे
लेकिन ..
क्या करे हर कोई पेट के लिए मेहनत कर रहा है ..
किसी का पेट कभी नहीं भरता कोई मिलबांट कर खाकर भी खुश रहता है ..
धीरे धीरे वक्त गुजरा ...स्कूली शिक्षा कोलेज के मुहाने पहुंची ...
आज बालदिवस है न याद आ गया वो चेहरा ... बारहवी के रिजल्ट पर जब मुस्कुराया था .
कई बरस बीत गये अब तो ...पर सार्थकता ढूंढ ही ली कई बार .
बहुत तो नहीं बस एक चेहरा भी मुस्कुरा उठे तो ..सार्थक हुआ दिन |
"-- विजयलक्ष्मी 

Thursday 13 November 2014

" सुनो ..मेरे आंसू का सच ..."

" शब्द और व्याकरण आचरण को रंगे कैसे 
आंसू जिन्दगी का खारापन पीकर भी रंगहीन है 
उसमे कस्तुरी छिपी होती है मनगंध समेटकर 
मनगंध घुंघट के भीतर बिफरती तो है बिखरती नहीं 
विरला ही पहचानता है उसकी गंध को ...जैसे राधा के रोग कितने वैद्यक 
कठपुतली बन चलती है जिन्दगी ...मदारी की थपपर ..
फिर भी ...कदम उठते नहीं ..
मन बादल सा बरसता है उसी छोर जाकर
जानते हो तुम ....सूखे में बरसात नही होती कभी ...
बादल भी वही बरसते हैं जहां जल ही जल हो ..
असंतुलन ...सोचकर देखना कभी ..
आचरण का व्याकरण सूरज को ज्ञात होगा ...विचलित जो नहीं होता कभी
बादलो से आंसू का इतिहास न पूछना ..हर बूँद में समन्दर है उसकी मीठा सा
नदिया तो वजूद खोकर भी खुश है
समा लेने को आतुर समन्दर का खारापन ..उसके अव्यक्त प्रयत्न ..प्रश्न चिह्न है
एक कोलम्बस को किताब में पढ़ा था ..दुसरे को देख रही हूँ तुममे
एक तट से दुसरे तट को खोज रहा है
मन पंछी उड़ता क्यूँ नहीं है ..
ये कौन सा बाजरा खिला दिया तुमने...जिसका स्वाद कभी न चखा था
आदत बिगड़ गयी है शहंशाही छा गयी है दिमाग पर
रेशमी पैबंद सा बहुत महंगा था बाजार का चलन ..
मेरी जेब में तीन पैसे चिंता कैसे आता भला
और तुमने शहंशाही देदी रियासत की ,,
जंगल में जंगली ही रहते हैं ..सभ्य लोग घुमने आते है पिंजरे वाली गाड़ी में बैठकर
कौन तमाशा बना कौन तमाशाई ..?
लो कितनी कहानी छिप गयी ..इस अकविता में ..अकथ सी ,
मेरी किताब के पन्ने तुम्हारे सपनों के पहले पृष्ठ के बाद खत्म होती है ..और
आखिरी पृष्ठ की अधिसूचना के बाद शुरू ..
दूध में यूरिया ..एकदम कोई नहीं मरेगा पीने से ..
वो सच बोला था ....वोट देकर मरेगा उसे ...जैसे पीढिया देती रही है
सुनो ..मेरे आंसू का सच ...
दर्पण में दिखती आँखों में झांक लेना शब्दों में बयाँ नहीं होगा
भौतिकी में घुला हुआ रसायन विज्ञानं जो लहू में घुला है समीकरण में उतर जायेगा ..
भागीरथ ...गंगा को लाये थे कभी ..आज गंगा भागीरथ को ढूंढ रही है आतुरता से
मरी हुई माँ की छाती से चिपक दूध सा पीते बच्चे का धर्म पूछ रही है गोली ..
मुझे अपने सभी पुरखो के नाम नही मालूम ,,मुहम्मद साहेब के कैसे होंगे
हैरान हूँ ...इमान का नंगा सच देखकर ..
हूर का नूर सबको चाहिए ...माँ पर मलानत भेजो औरत जो ठहरी वो "--- विजयलक्ष्मी 

Wednesday 12 November 2014

" ...लाइब्रेरी कानून पास हो गया "

" मस्जिद पर रखा स्पीकर देखा है न 
सुना है नीली छतरी वाला भी सुन लेता है उसकी आवाज ,,
फिर दीवारों चौखटों का क्या
बिक रही है औरते सरे बाजार  ...लाइब्रेरी कानून पास हो गया 
इसीलिए स्त्रियों से वर्जित प्रदेश है मस्जिद 
कही वी सी की भी शिकायत न हो जाये " --- विजयलक्ष्मी 


Tuesday 11 November 2014

" नेता ने बोझ कहा धरती का,,,,,"

खुद को घड़ना हर दिन ,दरकने के बाद ,
कोई वक्त नहीं बदलता जिन्दगी गुजरने के बाद .

हर कहानी में छिपी कहानी है यहाँ
इतिहास बदला भी कब किसी के मरने के बाद

मर गया रिक्शा चलाने वाला कार से
नेता ने बोझ कहा धरती का वोट पड़ने के बाद

वो जो बेवा हुई गजब की खूबसूरत है
हर किसी की निगाह में चढ़ी रंग उतरने के बाद
--- विजयलक्ष्मी 

Sunday 9 November 2014

" इक ख्वाब सा...."



" इक ख्वाब सा आँखों में छिपा बैठा है 
नहीं मालूम हकदार भी है या नहीं उसके 

न टूट जाये खौफ बढ़ चला इस कदर 
हर लहर तूफ़ान का सा आगाज करती लगती है

दीप जला है देहलीज पर इंतजार का 
बढ़ता कदम कोई अँधेरा न करदे यहाँ 
श्यामल सी रात चांदनी चादर में लिपटी 
प्रथम किरण बन सहर का आगाज करती लगती है 

लहर लहर उन्मुक्तता से झूलते हुए 
जैसे कश्ती याद की ठहरी हो खेलते हुए 
इक सितारा सा चमक उठा रोशन होकर 
चन्द्रिका या सूर्यरश्मि रौशन आगाज करती लगती है "

--- विजयलक्ष्मी 

Saturday 8 November 2014

" बंटवारा ..."

न जाने क्यूँ 
ये दुनिया 
हिस्से बहुत बांटती है 
गर 
कभी ...
मन हो
तुम्हारा भी 

बंटवारा करने का 
सुनो ,
जर जमीं 

कैसे क्या करना
तुम जानो 

मेरी ..
इतनी सी गुजारिश है 

तुमसे 
याद से
मुझे
अपने हिस्से में रख लेना -- विजयलक्ष्मी 

Friday 7 November 2014

" इल्जाम भी उन्ही का है.. हम काफ़िर हो गये "

मेरा देवता पत्थर का ...इल्जाम सारे मुझपर .
मैं पत्थरदिल पत्थर से इल्तजा भी क्या करूं ----- विजय




छायाचित्र छोड जिसने मुडकर भी न देखा कई प्रहर 
शिकवा शिकायत उन्ही का ,,,हम मिलने नहीं आते ---- विजय




" सजदा ए तहरीर जिसकी बैठा किये पल पल ,
इल्जाम भी उन्ही का है.. हम काफ़िर हो गये " --- विजय




वो हंसते भी आँखों में है रोते भी आँखों में ,
रहने लगा है जिक्र उनका हर पल बातो में --- विजय 






  • मेरी नींद ले गया है वो , अपना ख्याल छोडकर ,
    जीता हूँ न मरता हूँ इक उनका ख्याल छोडकर -- विजय





  • दिल का रोग है ,,क्यूँ  इलाज आखो का ,
    रातो को नींद गायब ख्याल ख्वाबो का -- विजय 


Monday 3 November 2014

क्या लिखूँ ..?

" जज्ब ए मुहब्बत लिखूं भी तो क्या लिखूं ,
वतन पे कुरबां जाँ लिखूं या इम्तेहा लिखूं ||

सरहद पे बंदूक की गोली लिखूं तोप लिखूं
मरे जमीर की ख्वाहिश बुखारी क्या लिखूं ||

फकीरों की जागीरी सुनी थी रहमत ए खुदा
गद्दार तबियत के हाजी  इमाम क्या लिखूं||

हामिद औ अशफाक से वतन परस्ती पूछ
देशभक्तों में गद्दार, द्रोही इमाम क्या लिखूं ||

सर काटने वालो के तलुए चाटता क्यूँ ईमाम
मजहब के नाम पे बदनुमा दाग क्या लिखूं  |
| " ------ विजयलक्ष्मी 


Sunday 2 November 2014

" मन पंछी को भेज रही हूँ .."



" तुम पढ़ लेना मेरे खत को 
कोरा सा पन्ना भेज रही हूँ ,
सब अहसास उतार दिए हैं 
प्रेम प्रीत की बाते लिख डाली 
लिख दिये इजहार के रंग 
लम्हे बंधे हैं इन्तजार के
कुछ टुकड़े से भेज रही हूँ
राग रागिनी तुमको सौपी
भेज रही मन तरंग
दिन भेजू कैसे रात अँधेरी
पुष्प सभी मुरझाने वाले
काटों का कैसे भेजू चमन
ख़ामोशी को भेज रही हूँ
जब लिखती हूँ खारा नीर टपकता
बताओ कैसे वो खारापन भेजू
याद भेजना हो मुमकिन कैसे
मन पंछी को भेज रही हूँ
कैसे डाकिये के हाथ सहेजू
कविता में मुझको पढ़ लेगा वो
अकविता तुमको क्यूँकर भेजू
खत पढ़ा है जब से सोच रही हूँ
पढ़ लेना मन की भाषा
आशा तुम संग सहेज रही हूँ
क्या रख छोडू क्या भेजू तुमको
तुम पढ़ लेना मेरे खत को
कोरा सा पन्ना भेज रही हूँ
,"----- विजयलक्ष्मी