समय अश्व की लगाम कसकर साध लें |
विस्तृत आकाश को मुट्ठी में बाँध लें ||
विस्तृत आकाश को मुट्ठी में बाँध लें ||
बैठ बहेलिया पेड़ तले सोच रहा दिनरेन |
चलाये कौन तीर जो निशाना साध ले ||
चलाये कौन तीर जो निशाना साध ले ||
चले विरोधी मिल कैसे सीखे उद्यान से |
कांटे पुष्प सब मिल कैसे जीवन हाथ ले||
कांटे पुष्प सब मिल कैसे जीवन हाथ ले||
विवशता भी बन्ध विश्वास से ढूढे रास्ता|
भाग्य अग्रसरित हो कर्मयज्ञ का साथ दे ||
भाग्य अग्रसरित हो कर्मयज्ञ का साथ दे ||
सूरज बिराज मस्तक राह प्रकाशित करे |
कोई रात अन्धेरी कैसे गर चन्दा साथ दे || ------- विजयलक्ष्मी
कोई रात अन्धेरी कैसे गर चन्दा साथ दे || ------- विजयलक्ष्मी
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