Saturday 19 December 2015

" सडक "

" अमीरों की शिकारगाह होती है सडक ,,
लहुलुहान फूटपाथ हुआ रोती है सडक 
वो खबर अख़बारनशी तो हुई जो सोती थी सडक
नशाखोरो के लिए कम्पनी बाग़ होती है सडक
महिलाओ के लिए बलात्कारी होती है सडक 
पत्रकारों के लिए जुगाड़ रोटी का है सडक
किसी की जिन्दगी किसी की बन्दगी की ..
किसी की दरिंदगी की अजब गवाह होती है सडक
हर किस्से को गा गाकर सुनाती है सडक
न्याय को ठेंगा दिखाते कानून की दुकान होती है सडक

कैसी  कैसी हैं  सडक ..कहीं गवाह जन्म की कही मौत की नींद सुलाती हैं सडक "----विजयलक्ष्मी

1 comment:

  1. जय मां हाटेशवरी....
    आप ने लिखा...
    कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
    हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
    दिनांक 21/12/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
    चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर... लिंक की जा रही है...
    इस चर्चा में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
    टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    कुलदीप ठाकुर...


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