वीर सावरकर को नमन ... अर्पित हैं श्रद्धा सुमन ||
" जब जब लिखूं सत्य,, झूठ के कान खड़े होते हैं ,,
शहादत से कैसे कब कोई हैवान बड़े होते हैं
जो सत्ता को पाकर भी उपयोगित को उपभोग करे
बहुत कुछ करने भी याद रखना गैरों के पाँव खड़े होते हैं ||
किया देश की खातिर तो अहसान नहीं किया ..
तप उनका ही बड़ा रहेगा जिन्होंने निस्स्वार्थ बलिदान दिया
कितना भी मिलाये मिटटी में नाम शहीदों का हुक्मरान
जीते हैं रग-रग में लहू में जन-जन की नजर में तस्वीर जड़े होते हैं
सवाल जवाब सत्ता के गलियारों की शोभा पाते रहेंगे ...
देश पर मरमिटने वाले तो राष्ट्रियचमन में सूरज से जड़े होते हैं || "----- विजयलक्ष्मी
जयहिंद !! जय राष्ट्र के पुजारी !!
No comments:
Post a Comment