Friday 29 July 2016

" दुश्मनों की ईंट से भी अब तो तोप बजनी चाहिए "

" पैलेट गन के छर्रे बुला रहे थे ,,
मिलने वाले रिश्तेदारी निभा रहे थे ,,
गायब विमान में शायद आतंकी नही देशभक्त थे दोस्तों ,,
सोचकर बताओ..किस किसको याद आ रहे ,,
देशभक्तों की आँखों के आंसू नहीं सूख रहे ,,
भ्रष्टाचार का दाग लगाते ,, किन्तु..
काश्मीर के दरिंदो के पास न जाते ...
देश के टुकड़े करने वालों के प्रति तो प्यार न जताते ,,,
इन्हें किसान की चिंता क्या होगी ,,,
जो देश से वफा नहीं निभाते ,
संसद में बैठकर कोसना ,,
दिखावे के आंसू रोना ,,
सोना और गाली देना है काम चार ...
अपने गिरेबान में क्यूँ नहीं झांकते यार
एक इन्कलाब आये ..सैलाब बन बहा ले जाए
और ऊँची आवाज में हो जयजयकार
सैनिको की सुने दहाड़ ..
एक सलामी नहीं कतार लगनी चाहिए
दुश्मनों की ईंट से भी अब तो तोप बजनी चाहिए
जयहिंद !
"!---- विजयलक्ष्मी


" जयहिंद जब जब पुकारा ,,
लगा इंकलाबी नारा ,,
सैनिक जितना देशभक्त कोई नहीं ,,
दुःख से सरोबार रहकर आँख जो रोईनहीं 
ललकार कर करो नाश ,,
सलामी देता रहा है देता रहेगा भारत का इतिहास "--- विजयलक्ष्मी



" मुहब्बत है या वेश्या कोई ,,,जो चौराहे बिकती मिले ,,
कीमत, वफा में जान भी कम है, मगर दिल तो माने ||


कामी दोगले देशद्रोही फिरकापरस्ती में हुए संलग्न ,
सौपे कैसे यूँही वतन,,वतनपरस्ती को दिल तो माने ||


भरोसा करें किसपर जहाँ फिरकापरस्ती पल रही हो ,

दगा नहीं मिलेगा ईमानकसम ,मगर दिल तो माने ||

क्यूँ बंदूक लगती प्यारी,विश्वासघात की करो इबादत,
वन्देमातरम उचारो , तुम्हारे सच को दिल तो माने ||


करनी-कथनी में अंतर क्यूँ , झूठे सच का जन्तर क्यूँ ,
काश्मीर-काश्मीर चिल्लाते हो अपना दिल तो माने ||
" -------- विजयलक्ष्मी

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