Friday 19 August 2016

" क्यूँकर भुला दिया तूने ;;;जीवन-डगर और देश को,

अरे ओ पाकिस्तान तेरा इलाज है नेक ,,
हम भारतीयों का इरादा भी है नेक 
सुन ले खोलकर कान तुझको न होगा भान
काश्मीर है अंग हमारा देश है हिन्दुस्तान .||
अपने चमचो करछो को कहदे ..चुप होकर बैठ रहे ..
न हो जो जेब में धरा उसको भी हम ऐंठ ले
अब सन सैंतालिस वाली बात नहीं ...
काश्मीर को भूलकर अपनी जान बचा ..
रखना ध्यान ये है तेरे अस्तित्व का फरमान ||
याद रख जुबा पर लगा लगाम
ये देश भगतसिंह सुभाषचंद्र आजाद का है
यहाँ राम पूजे जाते हैं ... काली का खप्पर खाली है
गीता कृष्ण पढाते हैं ,, यहाँ सैनिक खुद ही बन जाते हैं
कोई लालच काम नहीं करता ,,देशभक्ति का रंग नहीं उतरता
" चुप " न हो इरादा बदल जाए और " पाक - साफ़ ,"",
दुनिया रह जाएगी हैरान ||
----- विजयलक्ष्मी




" क्यूँकर भुला दिया तूने ;;;जीवन-डगर और देश को,
कैसे दिखायेगा बता उजाले भरे रास्ते फिर देश को ||


तू तो सपूत था मगर कपूत क्यूँकर बन गया ...
बता लीलता है आपही क्यूँ इस इंसानियत के देश को ||


स्वार्थ का चश्मा कुछयूँ चढा मिला जिन्दगी को लीलता,
क्या देश क्या देशवासी जो लीलता सांस्कृतिक वेश को ||


मर्यादाएं सारी भूल गया क्यूँकर बता आज का ये आदमी,
आदमीयत कत्ल करता फिर रहा कत्ल संग दरवेश को ||


अहंकार अपनी समझदारी का हुआ है कुछ इसतरह से
लहू देखकर खुशियाँ मनाता सजा रहा हैवानी दरपेश को||


दौर बदलेगा कभी जब,,,फिर बरबादियों का मातम होगा
जिन्दा हो महकेगी जिन्दगी ,छोड़ दरिंदगी के वेश को ||


बंदूक और ये पत्थरबाजियां लहुलुहान है मेरी माँ भारती
कैसे चैन पाऊँ भला मैं ---2 कैसे सुधारूं देश को ||


माथे पे बाँधी पट्टियाँ लहू धार कैसी बह उठी
माँ बहने मेरी लाज की गठरी लपेटे रो रही हैवानियत के वेश को ||


तू सपूत होता था कभी तूने मात किये है जानवर
तुझे युग पुरुष जाना था जिसने कलंकित किया उस देश को ||"
------- विजयलक्ष्मी

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