Wednesday 28 June 2017

सरदार पटेल और हैदराबाद ,,, और ..........

सरदार पटेल और हैदराबाद ,,, और प्रथम प्रधानमन्त्री का गुस्सा ....

क्या आप को सरदार पटेल, हैदराबाद निजाम और MIM का किस्सा पता है ?? जिसकी खबर सुन के नेहरु ने फ़ोन तोड़ दिया था | तथ्य जो हम भारतीयों से हमेशा छुपाये गए ???
हैदराबाद विलय के वक्त नेहरु भारत में नहीं थे | हैदराबाद के निजाम और नेहरु ने समझौता किया था अगर उस समझौते पे ही रहा जाता, तो आज देश के बीच में एक दूसरा पकिस्तान होता |
मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन(MIM) के पास उस वक़्त २००००० रजाकार थे जो निजाम के लिए काम करते थे और हैदराबाद का विलय पकिस्तान में करवाना चाहते थे ।।
बात तब की है जब १९४७ में भारत आजाद हो गया उसके बाद हैदराबाद की जनता भी भारत में विलय चाहती थी | पर उनके आन्दोलन को निजाम ने अपनी निजी सेना रजाकार के द्वारा दबाना शुरू कर दिया ।।
रजाकार एक निजी सेना (मिलिशिया) थी जो निजाम ओसमान अली खान के शासन को बनाए रखने तथा हैदराबाद को नव स्वतंत्र भारत में विलय का विरोध करने के लिए बनाई थी।
यह सेना कासिम रिजवी द्वारा निर्मित की गई थी। रजाकारों ने यह भी कोशिश की कि निजाम अपनी रियासत को भारत के बजाय पाकिस्तान में मिला दे।
रजाकारों का सम्बन्ध "मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुसलमीन" (MIM ) नामक राजनितिक दल से था।
चारो ओर भारतीय क्षेत्र से घिरे हैदराबाद राज्य की जनसंख्या लगभग1 करोड 60 लाख थी जिसमें से 85%हिंदु आबादी थी।
29 नवंबर 1947 को निजाम-नेहरू में एकवर्षीय समझौता हुआ कि हैदराबाद की यथा स्थिति वैसी ही रहेगी जैसी आजादी के पहले थी।
विशेष ........
यहाँ आप देखते हैं की नेहरु कितने मुस्लिम परस्त थे की वो देशद्रोही से समझौता कर लेते हैं | पर निजाम नें समझौते का उलंघन करते हुए राज्य में एक रजाकारी आतंकवादी संगठन को जुल्म और दमन के आदेश दे दिए और पाकिस्तान को 2 करोड़ रूपये का कर्ज भी दे दिया |
राज्य में हिंदु औरतों पर बलात्कार होने लगे उनकी आंखें नोच कर निकाली जाने लगी और नक्सली तैय्यार किए जाने लगे|
सरदार पटेल निजाम के साथ लंबी- लंबी झूठी चर्चाओं से उकता चुके थे अतः उन्होने नेहरू के सामने सीधा विकल्प रखा कि युद्ध के अलावा दुसरा कोई चारा नहीं है। पर नेहरु इस पे चुप रहे | कुछ समय बीता और नेहरु देश से बाहर गया ।।
सरदार पटेल गृह मंत्री तथा उपप्रधान मंत्री भी थे इसलिए उस वक़्त सरदार पटेल ने सेना के जनरलों को तैयार रहने का आदेश देते हुए विलय के कागजों के साथ हैदराबाद के निजाम के पास पहुचे और विलय पर हस्ताक्षर करने को कहा |
निजाम ने मना किया और नेहरु से हुए समझौते का जिक्र किया, उन्होंने कहा की नेहरु देश में नहीं है तो मैं ही प्रधानमंत्री हूं | उसी समय नेहरु भी वापस आ रहा था ,,अगर वो वापस भारत की जमीन पर पहुच जाता तो विलय न हो पाता इसको ध्यान में रखते हुए पटेल ने नेहरु के विमान को उतरने न देने का हुक्म दिया तब तक भारतीय वायु सेना के विमान निजाम के महल पे मंडरा रहे थे |
बस आदेश की देरी को देखते हुए निजाम ने उसी वक़्त विलय पे हस्ताक्षर कर दिए | और रातो रात हैदराबाद का भारत में विलय हो गया | उसके बाद नेहरु के विमान को उतरने दिया गया ।
लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल नेनेहरु को फ़ोन किया और बस इतना ही कहा ”हैदराबाद का भारत में विलय” ये सूनते ही नेहरु ने वो फ़ोन वही AIRPORT पे पटक दिया ”।।
उसके बाद रजाकारो (MIM) ने सशस्त्र संघर्ष शुरू कर दिया जो 13 सितम्बर 1947 से 17 सितम्बर 1948 तक चला | भारत के तत्कालीन गृहमंत्री एवं ‘लौह पुरूष’ सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा पुलिस कार्यवाई करने हेतु लिए गए साहसिक निर्णय ने निजाम को 17 सितम्बर 1948 को आत्म-समर्पण करने और भारत संघ में सम्मिलित होने पर मजबूर कर दिया।
इस कार्यवाई को ‘आपरेशन पोलो’ नाम दिया गया था।
इसलिए शेष भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद हैदराबाद की जनता को अपनी आजादी के लिए13 महीने और 2 दिन संघर्ष करना पड़ा था। यदि निजाम को उसके षड़यंत्र में सफल होने दिया जाता तो भारत का नक्शा वह नहीं होता जो आज है, अौर हैदराबाद भी अाज कशमीर की तरह कोढ़ में खाज बनकर भारत को मुह चिढ़ा रहा होता !!!!

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